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ख़ामोश, आवाज

यूं आना कहीं खबर न हो, यूं जाना कहीं खबर न हो।

जरा हिम्मत करके आना, ना आना यदि सबर न हो।

तुम्हें देर से आने की आदत ,जल्दी जाना है कहते हो।
मैं दर्द जुदाई सहती हूं, तुम दर्द जुदाई सहते हो।

आ जाओ  अब् आ भी जाओ, मेरे दिल में बस जाओ।
आहों में अब तुम ही तुम, अब बाहों में कस जाओ।


ये गीत अधूरा ही रहेगा,..........

जग नारायण मिश्र,29.06.21



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